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रीठी क्षेत्र के आरोग्य केन्द्रों के हाल-बेहाल, अधिकतर समय लटकता रहता है ताला

सीएचओ की लापरवाही से स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प, जांच की मांग 

कटनी, रीठी।। GANESH UPADHYAY VANDE BHARAT LIVE TV NEWS KATNI MP.

डाक्टरों को धरती का दूसरा भगवान माना जाता है, शायद यही उद्देश्य से शासन ने स्वास्थ्य केन्द्रों को आरोग्य मंदिर का नाम देकर ग्रामीणों की उम्मीदें जगाईं थीं। लेकिन जिले के रीठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले केन्द्रों में ताले लटके रहते हैं। बताया गया कि रीठी ब्लाक के रूड़मूड़, वसुधा, उमरिया, गुरजीकला, निटर्रा में सीएचओ की लापरवाही से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर संकट के बादल छाए हुए हैं। करहैया ग्राम के मझगवां में बने आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर ताला लगे रहने से सैकड़ों ग्रामीण परेशान हैं। हफ्ते में महज एक-दो दिन खुलने वाले यह केंद्र भर्राशाही के सराय बनकर रह गए हैं। बताया गया कि जहां कम्युनिटि हेल्थ आफीसर (सीएचओ) हर समय की तैनाती होनी चाहिए लेकिन नहीं है। गंभीर मरीजों को 12 से 15 किलो मीटर दूर रीठी अस्पताल या फिर झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही उजागर हो रही है। यहां तक कि पदस्थ सीएचओ में व्याप्त अफसरशाही के चलते लोगों की सुनवाई भी नहीं हो रही है।

ग्रामीणों को मिल रही निराशा

गांव के निवासियों का आरोप है कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर हफ्ते में केवल एक-दो दिन ही खुलता है। जब कोई मरीज दर्द से तड़पता हुआ यहां पहुंचता है तो, बंद दरवाजे देखकर निराशा ही हाथ लगती है। ग्रामीणों ने बताया कि इन केन्द्रों में पदस्थ सीएचओ द्वारा मीटिंग के नाम केंद्र बंद रखा जाता है, बिना तारीख व समय के। ग्रामीणों का कहना है कि केंद्र में मातृ-शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, संक्रमण रोग नियंत्रण, टीकाकरण, क्षय रोग जांच और टेली परामर्श जैसी जरूरी सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए, लेकिन सब कुछ ठप है। कुल मिलाकर रीठी ब्लाक के आरोग्य केंद्र पदस्थ सीएचओ की मनमानी के शिकार होकर रह गए हैं।

सीएचओ की भूमिका पर उठ रहे सवाल

आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए कम्युनिटि हेल्थ आफिसर (सीएचओ) को मुख्य जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐ अधिकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लागू करने, ग्रामीणों को नजदीक इलाज उपलब्ध कराने और जागरूकता फैलाने का कार्य करते हैं। लेकिन केन्द्रों पर सीएचओ की अनुपस्थिति और सूचना पटल की अपूर्ण जानकारी ग्रामीणों को गुमराह कर रही है। गांव के ही एक युवा ने बताया कि मीटिंग रीठी में होने की बात लिखी है, लेकिन कब कौन जाने, यह सीएचओ साहब की लापरवाही है, जो ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर लग रही है। लोगों ने आरोग्य मंदिरों की गंभीरता से जांच की मांग की है ताकि उन्हें गांव में ही बेहतर उपचार मिल सके।

ग्रामीणों की मांग रोज खुलें केन्द्र

ग्रामीण क्षेत्र के रहवासियों ने जिला कलेक्टर, सीएमएचओ, खण्ड चिकित्सा अधिकारी और उच्चाधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि आरोग्य मंदिरों को प्रतिदिन खोला जाए। अगर प्रशासनिक कार्य के लिए बंद करना हो तो, कम से कम सूचना पटल पर साफ तारीख, समय और वैकल्पिक व्यवस्था लिखी जाए। इससे पीड़ित भ्रमित नहीं होंगे और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकेंगे।

सुधार नहीं तो आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द सुधार न हुआ, तो सामूहिक धरना प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। लोगों ने बताया कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सीएचओ की ट्रेनिंग, स्टाफिंग और मानीटरिंग पर जोर देना जरूरी है। अन्यथा आरोग्य मंदिर का सपना अधर में लटक जाएगा। ग्रामीणों ने तो यह बताया कि कुछ सीएचओ तो पूरे समय रीठी मुख्यालय में नजर आते हैं अब ऐसे में केंद्र कैसे खुलते होंगे।

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